यूनीवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन
मिर्ज़ा असद उल्लाह ख़ान
' ग़ालिब '
ग़ज़ल in -आ
दिल-ए-नादान
,
तुझे हुआ क्या है ?
आख़िर
इस दर्द
की दवा
क्या है ? । ।
१ । ।
हम हैं मुश्ताक़
औरर वह बेज़ार
या इल्लाही
,
यह माजरा
क्या है ? । । २ । ।
मैं भी मुँह
में ज़ुबान रखता
हूँ
काश
पूछे
कि मुद्दुआ
क्या है ?
। । ३ । ।
जब कि तुझ बिन
नहीं कोई मौजूद
फिर यह हंगामा
, अये
ख़ुदा
, क्या है ? । ।
४ । ।
ये परी-चेहरा
लोग कैसे
हैं ?
ग़म्ज़-ओ-इश्व-ओ-अदा क्या है ? ।
। ५ । ।
शिकन
-ए-ज़ुल्फ़
-ए-अम्बरीन
क्यों
है ?
निगाह
-ए-चश्म
-ए-सुरमा
सा क्या है ? । । ६ ।
।
सब्ज़ा
-ओ-गुल
कहाँ से आए हैं
?
अब्र
क्या चीज़
है ? हवा
क्या है ? । ।
७ । ।
हम को उनसे वफ़ा
की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
। । ८ । ।
हाँ, भला
कर, तेरा
भला होगा
औरर दरवेश
की सदा
क्या
है ? । । ९ । ।
जान
तुमपर
निसार
करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ
क्या है । । १ ॰ । ।
मैंने माना
कि कुछ नहीं, ' ग़ालिब '
मुफ़्त
हाथ आये
तो
बुरा क्या है ? । ।
१ १। ।
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Keyed in and posted 21 Oct 2001. Corrected 24-25 Oct 2001.